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तू जिन्दा है तो, जिन्दगी की जीत में यकीन कर....
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतार ला जमीन पर .....
भारत रुपी खेत और हम फसल रुपी भारतीय ......

1. ➡️ क्या खेत में सिर्फ और सिर्फ बीज डालने से ही अच्छी फसल पैदा होती है ? जी नहीं. बीज, अच्छी फसल उगने की प्रक्रिया में मात्र पहला कदम है।
✍ सार - हम इंसान भी पैदा होते समय सब अच्छे ही होते हैं. हमने तो किसी भी बच्चे को ख़राब नहीं देखा पर मित्रों एक बात का ध्यान रहे, अगर हमने अपनी शर्ट का पहला बटन ही गलत लगाया है तो निसंदेह बाकी के सभी बटन गलत ही लगेंगे, इसमें कोई शक नहीं. इसलिए हमें अपने "बीज रुपी बचपन" का पहला बटन किसी भी हाल में गलत नहीं लगाना है।

2. ➡️ हमारे भारत की फसलें अधिकतर वर्षा पर ही निर्भर रहती हैं।
✍ 
सार - हम इंसान भी जिंदगी भर अच्छे गुरुओं पर निर्भर रहते हैं, जो हमारे ऊपर समय समय पर ज्ञान की वर्षा करते रहें क्योँकि :-
गुरु का महत्व कभी न होगा कम, भले कर ले कितनी भी उन्नति हम.
वैसे तो हैं इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान, पर अच्छे बुरे की नहीं हैं उसे पहचान ।

3. ➡️ फसल में कीड़ा न लग जाएँ - उसके लिए कीटनाशक डालना बहुत जरुरी होता है।
✍ सार - हमें भी जिंदगी भर ये देखना पड़ता है कि कहीं हम किसी बीमारी या किसी गलत आदत के शिकार तो नहीं हो गए हैं ।

4. ➡️ फसल को आंधी-तूफ़ान, सूर्य की तेज किरणें, गर्मी, सर्दी सब कुछ झेलनी होती है।
✍ 
सार - हम इंसानों को भी अपनी जिंदगी में कई तरह के उतार - चढ़ाव, दुःख - सुख से गुजरना पड़ता है ।

5. ➡️ फसल के "इर्द गिर्द जंगली घास या खरपतवार उगने" पर उसको "तुरंत जड़ से" उखाड़ना बहुत जरुरी है, नहीं तो कई बार पूरी की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है।
✍ सार - हमें भी जिंदगी भर इस बात का ख्याल रखना होता है कि हमारे आस पास नकारात्मक लोग न आ जाएँ, नहीं तो हम भी अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं. हमेशा सकारात्मक, नए नए आईडिया, नए विचार वाले लोगों के बीच बैठना है ।

6. ➡️ बीज को फसल बनने तक दो तरह का संघर्ष करना होता है :- 

▶️ (a) अंदरूनी - जिस जगह हमने बीज बोया था, क्या वहां पर हमने सही गहराई का गड्डा किया था और वहां की मिटटी कैसी थी ?

▶️ (b) बाहरी - वर्षा, कीटनाशक, आंधी तूफ़ान, सूर्य की किरणें, गर्मी - सर्दी का प्रभाव ?
✍ सार - हम इंसानों को भी फसल बनने तक यानि बुढ़ापे तक दो तरह का संघर्ष करना होता है :- 
▶️
(a) अंदरूनी - हमें अपने मन को जिंदगी भर सकारात्मक रहने के लिए मनाना पड़ता है.  

▶️(b) बाहरी - 
⏩ (i) अच्छे गुरुओं, सकारात्मक, नए नए आईडिया, नए नए विचार वाले लोगों की पहचान? 
⏩ (ii) किसी बीमारी या किसी गलत आदत का शिकार हो जाना ? 

⏩ (iii) दुःख-सुख, उतार-चढ़ाव का जिंदगी भर लगे रहना ?

7. ➡️ फसल "एक साथ दूर दूर तक" खेतों खलिहानों में लहलहाती हुई कितनी सुन्दर दिखाई देती है, ऐसा लगता है, जैसे सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।

✍ सार - हम इंसान भी "जब जब संगठित हुए हैं, तब तब कोई न कोई चमत्कार हुआ है।
जैसे :-

⏩ (i) एक अच्छा संगठन किसी बंद पड़े उद्योग को भी जीवन प्रदान कर सकता है।
⏩ (ii) एक कमजोर संगठन अच्छे उत्पाद को मिट्टी में मिला सकता है जबकि एक अच्छा संगठन जिसके पास कमजोर उत्पाद है, वह भी अपने से अच्छे उत्पाद को बाजार से हटा सकता है।

⏩ (iii) व्यवसाय में ही नहीं, बल्कि "प्रत्येक क्षेत्र में" सफलता का आधार सुदृढ़ संगठन एवं समन्वय व्यवस्था ही है. आज मनुष्य की सभी क्रियाएँ संगठन के अन्दर ही होती है।
⏩ 
(iv) संगठन के बिना मानव जीवन की कोई भी क्रिया व्यवस्थित रूप से नहीं चल सकती है।
⏩ 
(v) “हम संगठन में ही जन्म लेते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा हममें से अधिकांश लोग संगठन में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
⏩ 
(vi) संगठन के बिना प्रबन्ध वैसे ही प्रभावहीन है जैसे बिना आत्मा के शरीर।
⏩ 
(vii) “मनुष्य के लक्ष्यों" की प्राप्ति का आधार संगठन ही है ।

8.➡️ इन सब के बाद अब फसल पक कर तैयार है, खेतों खलिहानों में लहलहाती हुई, सुंदरता से भरी हुई, सुन्दर नजारा लिए हुए और "देश की प्रगति" का बखान करती हुई। 
✍ सार - मित्रों इसी तरह इंसान की जिंदगी है, बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हमें बहुत ही संभल कर आगे बढ़ना होता है. हर तरफ नज़र रखते हुए, अच्छे गुरुओं, सकारात्मक मित्रों, नए नए आईडिया, नए नए विचार देने वाले लोगों की पहचान करते हुए ...
पर पर पर, मित्रों सावधान 
अच्छा गुरु, नए नए आईडिया, नए विचार देने वाले लोग हमें मिले न मिले, पर कभी भी, जी हाँ, कभी भी मित्रों, नकारात्मक लोगों (चाहे वो हमारे कितने ही करीबी क्योँ न हों) के चक्कर में हमें नहीं पड़ना है, ये बात हमें हमेशा गाँठ बाँध कर रखनी है।

👉🏽 मित्रों ध्यान रहे, अगर हमें सूरज की तरह चमकना है, तो पहले हमें, सूरज की तरह जलना ही जलना होगा !!
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इसीलिए तो हमें ये पंक्तियाँ गुनगुनाने में कोई बुराई नहीं है : -

👉🏽 तू जिन्दा है तो, जिन्दगी की जीत में यकीन कर, 

अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतार ला जमीन पर, 

ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन, 

ये दिन भी जायेंगे गुजर, गुजर गए हजार दिन, 

कभी तो होगी, इस चमन पे बहार की नजर, 

अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतार ला जमीन पर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो, उतार ला जमीन पर ।

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